कोस्टल शिपिंग विधेयक, 2025 को 7 अगस्त 2025 को राज्यसभा ने पारित कर दिया, इससे पहले लोकसभा ने इसे 3 अप्रैल 2025 को मंज़ूरी दी थी।
यह विधेयक मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 के भाग-XIV को हटाकर एक आधुनिक कानूनी ढांचा प्रस्तुत करता है, जो वैश्विक कैबोटेज़ मानदंडों के अनुरूप है।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इससे भारत का तटीय कार्गो हिस्सा 2030 तक 230 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
🔑 मुख्य विशेषताएँ:
- तटीय शिपिंग के लिए सरल लाइसेंसिंग प्रणाली की शुरुआत
- तटीय व्यापार में विदेशी जहाजों के नियमन के लिए ढांचा
- राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय शिपिंग रणनीतिक योजना की अनिवार्यता
- राष्ट्रीय तटीय शिपिंग डेटाबेस का प्रस्ताव, जिससे पारदर्शिता और निवेश को बढ़ावा मिलेगा
इस विधेयक का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा बढ़ाना, भारतीय जहाजों के उपयोग को प्रोत्साहित करना, विदेशी निर्भरता घटाना और स्थानीय रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।
इस विधेयक के पारित होने के साथ ही, तीनों प्रमुख समुद्री कानूनों को संसद की मंज़ूरी मिल चुकी है:
- मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025
- समुद्र द्वारा वस्तुओं के परिवहन विधेयक, 2025
- कोस्टल शिपिंग अधिनियम, 2025