सभ्यताओं के बीच संवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस – 10 जून

सभ्यताओं के बीच संवाद के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस प्रतिवर्ष 10 जून को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों और समाजों के बीच आपसी समझ, सम्मान और सहयोग को बढ़ावा देना है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2024 में स्थापित किया गया था और यह शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित करने तथा भेदभाव को समाप्त करने की वैश्विक अपील का प्रतीक है।


पृष्ठभूमि और महत्व

इस पहल का प्रस्ताव चीन द्वारा रखा गया था और इसे 80 से अधिक देशों का समर्थन प्राप्त हुआ। इस प्रस्ताव में यह बताया गया कि सभी सभ्यताओं की उपलब्धियाँ मानव जाति की सामूहिक विरासत हैं। यह संकल्प वैश्विक शांति बनाए रखने, साझा विकास को आगे बढ़ाने और मानव कल्याण को बढ़ाने में संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि संवाद ही शांति का मार्ग है और उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि वे एक-दूसरे की बात सुनें, संवाद करें और जुड़ाव बढ़ाएं ताकि विविधता से भरी दुनिया में एकता, समान गरिमा और मानव अधिकारों की भावना विकसित हो।


इस दिवस के उद्देश्य

  • सभ्यताओं के बीच की खाई को पाटने के लिए संस्कृतियों के बीच संवाद को बढ़ावा देना।
  • आपसी सम्मान को बढ़ावा देना और पूर्वाग्रह व भेदभाव को समाप्त करना।
  • राष्ट्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक एकजुटता को मजबूत करना।
  • साझा समझ के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान निकालना।

आज के दौर में संवाद क्यों ज़रूरी है

आज के समय में जब असहिष्णुता, गलत सूचना और विदेशी विरोध बढ़ रहा है, संवाद विश्वास और समझ पैदा करने का एकमात्र रास्ता है। संयुक्त राष्ट्र ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि सभ्यताओं की विविधता को डरने की नहीं, बल्कि उत्सव मनाने की चीज़ समझा जाना चाहिए, क्योंकि यही विविधता वैश्विक शांति, मानव कल्याण और सतत विकास में सहायक है।

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