29 जून 2025 को दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पूरे देश को आधिकारिक रूप से ढक लिया — यह तय समय से 9 दिन पहले हुआ, जो 1960 के बाद से सबसे तेज़ प्रगति में से एक है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और दिल्ली के शेष भागों में भी मानसून की पहुंच की पुष्टि की।
कृषि में बढ़त और आर्थिक प्रभाव
इस जल्दी आगमन से खासकर मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में खरीफ फसलों की बुवाई को लाभ मिलने की उम्मीद है, जहां सामान्य से 24% से 37% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। अभी तक 138 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर फसलें बोई जा चुकी हैं, जिससे किसानों को इस सीजन की अच्छी शुरुआत की आशा है।
चरम मौसम और सुरक्षा चिंता
हालांकि, मानसून की तेज़ प्रगति ने कुछ गंभीर मौसम घटनाओं को भी जन्म दिया है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना में दो लोगों की मौत हो गई और सात लोग लापता हैं, जिसके चलते चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। हिमाचल प्रदेश में 20 जून से अब तक 20 वर्षा जनित मौतें हो चुकी हैं, जहाँ भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने परिवहन और जनजीवन को प्रभावित किया है।
आगे की स्थिति
IMD ने 1 जुलाई तक उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और झारखंड सहित कई राज्यों में भारी बारिश के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। जहां ये बारिशें गर्मी से राहत और कृषि को सहयोग देती हैं, वहीं संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता भी बढ़ गई है।