भारत ने 24 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का शुभारंभ किया, जिसका अनावरण केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। इस नीति का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित और आधुनिक बनाना है।
इसकी प्रमुख विशेषताओं में 20 वर्षीय रोडमैप (2025-2045), 2026 तक 2 लाख नए पैक्स का निर्माण, प्रत्येक गाँव में एक सहकारी समिति, और डिजिटलीकरण, समावेशिता और पेशेवर प्रबंधन पर ज़ोर देना शामिल है।
यह नीति किसानों, छोटे उद्यमियों, महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर पड़े समुदायों को लाभान्वित करती है, जिसका उद्देश्य ऋण पहुँच, बाज़ार संपर्क और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाना है।
इसका मसौदा सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय समिति ने 17 बैठकों और 4 क्षेत्रीय कार्यशालाओं के बाद तैयार किया था। राज्यों को 31 जनवरी 2026 तक अपनी नीतियाँ अपनानी होंगी।
इस रणनीति को 97वें संशोधन (2011) और अनुच्छेद 43बी के माध्यम से संवैधानिक समर्थन प्राप्त है, जो सहकारी समितियों की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली पर ज़ोर देता है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के शुभारंभ से इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और प्रशासन को और अधिक सहायता मिलेगी।