24 सितम्बर 2025 को, लद्दाख की राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर लेह में शुरू हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसा में बदल गए। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन के दौरान पुलिस से झड़प में 4 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग, जिनमें सुरक्षा कर्मी भी शामिल हैं, घायल हो गए। इसके बाद कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दी गई।
कार्यकर्ता सोनाॅम वांगचुक ने इस आंदोलन को “जनरेशन-ज़ेड क्रांति” बताया। यह आंदोलन बेरोज़गारी, प्रतिनिधित्व की कमी और पर्यावरणीय खतरों को लेकर बढ़ती चिंताओं से प्रेरित है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा दिया जाए, जनजातीय अधिकारों के लिए संवैधानिक सुरक्षा मिले और लद्दाख की नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जाए।
जहाँ केंद्र सरकार ने वांगचुक पर अशांति भड़काने का आरोप लगाया, वहीं विपक्षी दलों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया। यह संकट अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख में पहचान, शासन और स्थिरता को लेकर गहराते तनावों को उजागर करता है।