वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को 12 घंटे की बहस के बाद राज्यसभा द्वारा 3 अप्रैल, 2025 को पारित किया गया था, जिसमें 128 मत पक्ष में और 95 मत विपक्ष में पड़े थे। लोकसभा ने पहले ही विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना और विरासत संरक्षण और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं सहित मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में सुधार करना है। यह एक समावेशी वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव करता है, जिसमें विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों का प्रतिनिधित्व हो और सीमित संख्या में गैर-मुस्लिम सदस्य हों, ताकि इसकी धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को बनाए रखा जा सके।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों में हस्तक्षेप किए बिना करोड़ों गरीब मुसलमानों को लाभान्वित करेगा, जो सरकार के “सबका साथ, सबका विकास” दृष्टिकोण के अनुरूप है। हितधारकों और संयुक्त संसदीय समिति के परामर्श के बाद विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था।
मल्लिकार्जुन खड़गे, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और अन्य विपक्षी नेताओं ने विधेयक का विरोध किया और इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी, असंवैधानिक और राजनीति से प्रेरित बताया। हालांकि, एचडी देवेगौड़ा जैसे कई नेताओं ने वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग का हवाला देते हुए विधेयक का समर्थन किया। संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 भी पारित किया, जिसने 1923 के मुसलमान वक्फ अधिनियम को निरस्त कर दिया।